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किसान और फसल - लेखनी प्रतियोगिता -28-May-2022

देख उमड़ते काले मेघों से आच्छादित व्योम 
किसान के मन में उत्पादित होता है सोम।

लहलहाती फसल के देखते दिन-रात सपने
उम्मीद की किरण से हर्षित होते सब अपने।

अच्छी फसल से ऋण चुका हो जाएँगे मुक्त
जीवन बिन कर्ज होगा हँसी-खुशी से युक्त।

भूले महाजन के पास है चमड़ी का भी हिसाब
मूल से ज़्यादा व्याज से भरी है उनकी किताब।

फसल का लहलहाना एक पल ही सुकून दे पाता
अगले ही क्षण व्याज के नाम पर गायब हो जाता।

भोला-भाला कृषक करता रहता सदा प्रतीक्षा
किस फसल से हो भरपाई, मिटे जीवन परीक्षा।

अधपेट की जगह मिले उसे भोजन भरपेट
शिशिर में सोना ना पड़े तन पर चीथड़े लपेट।

फसलों की उम्दा नसलें हों सिर्फ उसकी अपनी
बुरी नज़र कभी डाल न सके उस पर कोई जुल्मी।

फसल शब्द किसान के जीवन में बड़ा खास है
इससे ही उनकी खुशियों की जुडी आस है।

फ फरमान जारी कर उमंगों का, नव अहसास दिलाती 
स सपने देखना ल किस्मत की लकीरें चमकाती।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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9 Comments

Ayaansh Goyal

05-Jun-2022 02:24 PM

Sunder Rachna

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Shnaya

31-May-2022 09:34 PM

शानदार प्रस्तुति 👌👌

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Shrishti pandey

29-May-2022 05:25 PM

Nice

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